Saturday, May 19, 2012

ग़ज़ल :१०

ग़ज़ल :१०
तमन्ना जब किसी की नाकाम हो जाती है .
जिन्दगी उसकी उदास शाम हो जाती है .

दिल के साथ दौलत का होना भी जरूरी है
गरीब की मोहब्बत नीलाम हो जाती है .

जब इसे मुकम्मल मुकाम नहीं मिलता
इसी बहाने मोहब्बत बदनाम हो जाती है

कोई क्या जाने क्या गुजरती है उस वख्त
खास चीज जो बाजार में सरेआम हो जाती है .

वो क्या समझेगा मेरी रुसवाई का सबब
जिसकी शाम मेरी खातिर जाम हो जाती है

किस्सा अयान एक अंजाम तक पहुचता है
जब धड़कने इश्क में इंतकाम हो जाती है

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