Saturday, November 2, 2013

NAYI GAZAL


अदालतें वहीं रही पर फैसले बदल गये
ये सूरतें वही रही पर हौसले बदल गये
बेगुनाह काटता है एक उम्र कारावास में
और सीना ठोक अपराधी सब निकल गये
फुटपाथ में पडी जरा झोपडी को देखिये
और हंसते हुये खुशहाल सब महल गये
लोकतंत्र के इस तंत्रलोक का कमाल है
लाली पाप से संसद में दिल बहल गये
घाटी को अब छोड थाती को देखिये जरा
बारूद बंब आतंक से इंशान भी दहल गये
फिर से योजना बनी फिर से फाइलें गई
फिर आफिसों मे सारे कुकुरमुत्ते मचल गए
अनिल अयान श्रीवास्तव ,सतना
९४०६७८१०७०





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