Monday, October 26, 2015

इसलिये हमेशा थोड़ा सबर करते हैं.

मेरी जुबां जब भी खामोश होती है.
तभी खयाल जेहन मे सफर करते है.
लफ्ज़ घूमते हैं गहराइयों मे मेरे.
नज़रे इनायत मे मेरे बसर करते है.
जल्दबाजी भी शैतान का काम है
इसलिये हमेशा थोड़ा सबर करते हैं.
लफ्ज़ जब इंकलाब ऐलान करते है.
तब इन्हें सब के पेश ए नज़र करते हैं.

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